कवि हूॅं
इसलिए कविताएं लिखती हूॅं,
कवि हूॅं
इसलिए अपनी कविताएं सभी को सुनाती हूॅं।
कवि हूॅं
इसलिए अपने दिल का आलम तुझे नहीं बताती हूॅं,
कवि हूॅं
इसलिए अपने दिल की बातों को
कविता से तुझ तक पहुॅंचाती हूॅं।
कवि हूॅं
इसलिए मुॅंह से नहीं
कागज़ कलम से बात करती हूॅं,
कवि हूॅं
इसलिए कागज़ पर अपने दर्द बयां करती हूॅं।
कवि हूॅं
इसलिए खुश रहना जानती हूॅं,
कवि हूॅं
इसलिए अपने दर्द छुपाना जानती हूॅं।
कवि हूॅं
इसलिए अपने दिल की बातें किसी से नहीं कहती हूॅं,
कवि हूॅं
इसलिए दिल की बातों को कविता में लिखती हूॅं।
"रीना कुमारी प्रजापत"