बेबसी अपनी जो कह नहीं पाते।
बिन मेरे तुम जो रह नहीं पाते ।
दिल में रहते हैं दर्द की मानिंद।
वो आंसू, जो बह नहीं पाते।
हम समझते हैं तेरी खामोशी।
वो शिकायत, जो कर नहीं पाते।
तेरे नज़दीक खुद को रखते हैं।
फ़ासला हम जो सह नहीं पाते।
- डॉ फौज़िया नसीम शाद