"कवि की कलम की पुकार"
कलम न झुकेगी सत्ता के आगे,
न बिकेगी दौलत के साए में।
सच लिखना ही उसका व्रत है,
वो जलेगी समाज की ज्वालाओं में।
शब्द नहीं हैं बाजार का माल,
ये तो आत्मा का अनमोल दान।
जिसे खरीदा जाए नोटों से,
वो कविता नहीं—बस है अपमान।
पुरस्कारों की जाली चकाचौंध,
सच्चे कवि को भटका न पाए।
वो तो अंधेरों में दीप बने,
सत्य की राह दिखलाए।
भ्रम के ताज उतार फेंको,
झूठी शोहरत को मिटने दो।
साहित्य का धर्म बचा रहे,
सच की लौ को जलने दो।
~ अभिषेक मिश्रा 'बलिया'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




