आपस में तकरार बहुत है
फिर भी उससे प्यार बहुत है
लाख गुलों से दामन भर लो
चुभने को एक खार बहुत है
वो जैसा है मेरा है बस
वो है तो घर बार बहुत है
मुझको रोज बताता है वो
यार सुनो ‘एक यार बहुत है’
दीवानों में ताकत कितनी
नैनो का एक वार बहुत है
रात कहाँ जागे हो बोलो
कैसे आज खुमार बहुत है
उसको बस मरने की है जिद
या जीना दुशवार बहुत है
रो देता है देख मुझे बस
पर वो ज़ज्बेदार बहुत है
दिन में ना मिल पाये तो क्या
ख्वाबों में दीदार बहुत है
कितने दरवाजे ढूँढोगे
‘सिंह’ के दिल का द्वार बहुत है
__________समीक्षा सिंह