उनको फुरसत हो तो, अपनी मसरूफियत बयां करें..
कुछ उनकी नज़रे इनायत हो तो, जरूरत बयां करें..।
वो समझे कि ना समझे, ये तो हमारे हाथ नहीं..
जुबां से कुछ ना कहना, गर निगाह मुहब्बत बयां करे..।
बहुत मंसूबों के बाद भी, उनको कुछ कहने का हौसला न आया..
चलो अब इशारों में ही , दिल की कोई हसरत बयां करें..।
दुनिया तो बात–बात में, अपनी बात बदलती है..
इससे और ज़ियादा क्या, ज़माने की फितरत बयां करें..।
इस शहर में है यहां–वहां, सांसों के कितने ही सौदागर..
चलो हम खुदा के दर पर, सुबहो–शाम अपनी खैरियत बयां करें..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




