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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सागर और हमारा मन

कुछ कुछ सागर सा जीवन है अपना
जो अथाह जल सा विशाल
जिसकी लहरें उठती हैं और दूर बाहर तक आतीं
कभी धीमी, कभी तेज, कभी ऊँची बलखाती
धरती से टकराकर फिर वापिस सागर में मिल जातीं
कुछ को अपने साथ ले जातीं, कुछ को बाहर छोड़ जातीं
सागर का शांत स्वाभाव उसकी लहरों में
तूफान की ताकत को बयां नहीं होने देता

सागर सा ही हमारा मन
जो अथाह भावनाओं से भरा
जिसकी विचार रूपी लहरें आपस में टकरातीं
ममता, प्रेम, गिले शिकवे जिसकी तरंगें
जो पल पल हर पल उछाल खातीं
सब कुछ स्वयं में ही समेटकर स्वयं को नष्ट कर देतीं
सागर जैसा जीवन तो पाया पर
उसके जैसा स्वाभाव नहीं अपना पाया।
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह वंदना जी,मन की गहराई का इतना गहरा चित्रण, खूबसूरत लिखा है आपने

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏🙏😊

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

ममता, प्रेम,गिले शिकवे जिसकी तरंगें,जो पल पल उछाल खातीं। क्या बात है,अति सुंदर विचार।

वन्दना सूद replied

😊

श्रेयसी said

बहुत सुंदर रचना 🙏🙏

वन्दना सूद replied

Shukriya ji 🙏🙏

Shiv Charan Dass said

वाह वाह. ..सागर तो अथाह है

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

Vadigi.aruna said

सही कहा आपने, बहुत खूब👌👌

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत एवं लाज़वाब रचना मैम 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद replied

शुक्रिया सुप्रिया जी 😊

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर रचना वन्दना जी, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 🙏🙏😊

कमलकांत घिरी said

वाह जीवन का सागर से बहुत अच्छा संबंध प्रस्तुत किए मैम बहुत सुंदर ढंग से 👌🙌✍️🙏आपको मेरा सादर प्रणाम 🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया जी 😊

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