कुछ कुछ सागर सा जीवन है अपना
जो अथाह जल सा विशाल
जिसकी लहरें उठती हैं और दूर बाहर तक आतीं
कभी धीमी, कभी तेज, कभी ऊँची बलखाती
धरती से टकराकर फिर वापिस सागर में मिल जातीं
कुछ को अपने साथ ले जातीं, कुछ को बाहर छोड़ जातीं
सागर का शांत स्वाभाव उसकी लहरों में
तूफान की ताकत को बयां नहीं होने देता
सागर सा ही हमारा मन
जो अथाह भावनाओं से भरा
जिसकी विचार रूपी लहरें आपस में टकरातीं
ममता, प्रेम, गिले शिकवे जिसकी तरंगें
जो पल पल हर पल उछाल खातीं
सब कुछ स्वयं में ही समेटकर स्वयं को नष्ट कर देतीं
सागर जैसा जीवन तो पाया पर
उसके जैसा स्वाभाव नहीं अपना पाया।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




