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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आज रात

खुले आसमां में सोई थी मैं,
चांद,तारों से बातें कर रही थी मैं।
आज रात मेरी आंखों में नींद न थी,
दर्द जो हद से ज़्यादा सह रही थी मैं।।

पूछा मैंने चांद से ऐ चांद मुझे ये बता,
किया क्या था गुनाह मैंने
जिसकी मिल रही है मुझे सज़ा। पूछा मैंने एक सवाल उन सितारों से भी,
क्यों हो रहा है मेरे साथ ये सब,
ये तुम मुझे बताओ ज़रा।।

ना चांद ने जवाब दिया,
ना सितारों ने जवाब दिया।
ली ना मैंने नींद की एक भी झपकी,
और पूरी रात को इनसे सवालों में गुज़ार दिया।।

मुझे फिर भी नहीं है उस खुदा से कोई गिला,
ज़िंदगी में एक पल का सुकून ना मिला।
दर्दों ग़म हर जगह मिले,
पर खुशियों का ठिकाना ना मिला।।

चांद तारों ने तो जवाब ना दिया,
पर सुन मेरा दर्द ये आसमां रो दिया।
क्यों ये मेरी ज़िंदगी दुःखों में बॅंटी है,
मेरे इन सवालों का मुझे किसी ने जवाब ना दिया।।
~रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Bhushan Saahu said

बहुत ही भावनात्मक रचना

Lekhram Yadav said

माना की लेख अच्छा लिखती हो लेकिन सूरत से भोली दिखती हो। बेवजह इस जिन्दगी से आप यूं उल्टे सीधे सवाल करती रहती हो।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ha bhaiyya or zindgi se ye sawal hamesha rahenge

रीना कुमारी प्रजापत replied

Shukriya

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar rachna khula aasmaan, bhavnayein aur chand taare sab chamak damak rahe hain..🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏

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