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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बस दुनियां के द्वारा हमेशा दबाया गया..

दर्द इतना गहरा था कि संभाला ना गया।
तासीर तड़प का कभी सहा ना गया ।
मिली थी हमें अपनों से बेबसी ऐ मेरे दोस्त
इसलिए हालत हमसे संभाला ना गया।
वो कहते हैं हमें नादान परिंदे
पर मुझे क्या पता था शहर में घूम रहें हैं
तमाम दरिंदे।
ना कर बैठे बरदास्त हमसे ना रहा गया
लड़ बैठे हम उनसे हमसे मूंदें आंख ना रहा गया।
गहरा बहुत था फिसलन भरा था डगर
जिंदगी का रास्ता चिकना बहुत था।
ना थी हमें इस पर चलने की आदत
इसलिए इसपर हमसे ना चला गया।
उम्मीदें थीं बहुत इल्तेज़ा थी
पर हसरतों को फिरभी हमसे
ना पाया गया।
तमाम कोशिशें किं थी मैंने इस ज़माने को
मानने की पर इस दुश्मन ज़माने को ना दोस्त मुझसे बनाया गया।
थें हालातों के मारे इसलिए दूर तलक ना
हमसे चला गया ।
आया था इस जहां में कुछ ख्वाहिशें लेकर
पर कुछ भी नहीं मुझको हासिल हुआ।
सब मुठ्ठी में बंदे रेत की तरह फिसलता गया।
मचा था बवाल कभी कभी बवाल सबसे
मचाया गया।
हमेशा आगे बढ़ने का दम दिखाने वाले का
पांव सदा पीछे खींचा गया।
ना हस सके ज़माने की शक्लो सूरत देखकर कि....
इस क़दर लोगों का शक्लो सूरत बनाया गया।
और कुछ नहीं बस बात बात पर बात बनाया गया।
बस दुनिया के द्वारा हमेशा दबाया गया..
बस दुनियां के द्वारा हमेशा दबाया गया..




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Anand sir ji 🙏🙏

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