छोटे - छोटे भवन मन को अति मनोहर लगते हैं
महलों से बढ़कर मन को आनंदित करते हैं
वृक्षों की शीतल छाया फैली है चारो ओर
पक्षी सुंदर गीत गाते देखो नृत्य दिखाते मोर
आस-पास है सुंदर खेत तो कहीं - कहीं है सुंदर बाग
अमरुद ,संतरा, केले के वृक्ष गाते है भिन्न राग
नए मीठे फल बागों में नित खाने को मिलते हैं
मन प्रफुल्लित करते पुष्प सदा यहां पर खिलते है
हरी - हरी यह फसल धान की खेतों में लहराती है
छल - कपट द्वेषहीन किसानो के मन को भाती है
बहती एक सुनिर्मल तटिनी सुंदर गीत सुनाती है
मानो कृषकों को प्रगति का मार्ग यह दिखलाती है।।