हाय! आज की क्या शाम रही होगी।
किसी के तो नाम रही होगी। 1
महफ़िल सजी होगी कवि-कवियित्रियों की।
कोई तो बात गुमनाम रही होगी।
वाक्या कोई तो नया बना होगा।
सामने होकर भी वो अनजान रही होगी।
हाय! आज की क्या शाम रही होगी।
किसी के तो नाम रही होगी। 2
थोड़ी तो थकान रही होगी।
करते हुए काम रही होगी।
आना-जाना बोलना-गाना।
गज़लें वो तमाम रही होगी।
हाय! आज की क्या शाम रही होगी।
किसी के तो नाम रही होगी। 3
किसी ने सुनाया होगा अपना दुखड़ा।
किसी की खुशियां बयान रही होगी।
कोई मुस्कुराते हुए आया होगा मंच पर।
कोई जाते हुआ नम आंखे थाम रही होगी।
हाय! आज की क्या शाम रही होगी।
किसी के तो नाम रही होगी। 4
खुल रहे होंगे आज सबके अंदर के राज़।
किसी ने आकर बताया होगा
कैसे रातों की नींदे हराम रही होगी।
कोई मां के लिए तरस रहा होगा।
कोई पिता का कर गुणगान रही होगी।
हाय! आज की क्या शाम रही होगी।
किसी के तो नाम रही होगी। 5
यादों के भंवर में गोते खाते हुए।
कोई तो सुबह को कर शाम रही होगी।
किसी ने कहा होगा वो बड़े अच्छे है।
किसी के कहने भर से
तालियां बजा आवाम रही होगी।
हाय! आज की क्या शाम रही होगी।
किसी के तो नाम रही होगी। 6
मनीषा..

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




