हसने हसाने के लिए दो शब्द ही बहुत होते हैं
दिल को अपना बना लें ऐसे दो शब्द ही बहुत होते हैं
जो हम अक्सर भूल जाते हैं
कि ऐसे कई शब्द,बातें,वाक्य हमारे पास भी हैं
जो किसी के लिए भी दुआ बन दवा का काम कर जाते हैं
परन्तु क्रोध और अहम् में डूबे हम
कड़वाहट भरे शब्दों की किताब बन जाते हैं
वहीं आधुनिकता की धूल से ढके हम
मिठास और सभ्यता का लहज़ा भूल जाते हैं
हर शब्द दिल को छू जाए मुमकिन नहीं है
लेकिन दिल को अपनेपन का एहसास करा सके यह मुमकिन है ..
वन्दना सूद