कितने दिनों से बरसते बादल आज अचानक थम गए
मीठी मीठी सुबह में सूरज की किरणें आँखों में यूँ पड़ीं
कि लगा जैसे जीवन को भी नया सवेरा मिल गया हो
ध्यान से सुना तो एक आवाज़ सुनाई दी
क्यों मुसाफिर थक तो नहीं गया
बरसातें तो आती जाती ही रहेंगी
तू भी अपने सवेरे को ढूँढते रहना
जीत उसी की होती है
जो ठहरना नहीं जानता
जीवन से डरना नहीं उससे लड़ना जानता है ..
वन्दना सूद