विपक्ष से अपेक्षा रखने वाले,
सत्ता पक्ष अपने पथ रहो ना,
बहुमत की जनतंत्र का पुरजोर शोर है,
शिक्षा की पीढ़ी आज इतनी क्यों कमजोर है,
हो रही है दिशाएं भ्रमित,
जीवन की हर आशा भ्रमित,
कंधों को ही अलग करने वाला,
एकता को अनेक करने वाला,
ये कानून कितना कमजोर है,
विकास को शब्द रखने वाला,
ये विकास कितना कमजोर है,
अरे! भूख जगी है मंत्री बनने की,
सांसद विधायकों की ये जो होड़ है,
यही लगे हैं भारत की शिक्षा को तोड़ मरोड़ है,
और इस भीड़ में लगे कितने झकझोर है,
मैं कहूं हाशिए पर धकेल दी शिक्षा है,
और शिक्षित ही कहते हैं,
शिक्षा कितनी कमजोर है।।
- ललित दाधीच।।