अभी और ज़वाल आना बाकी है
अभी एक कहानी का अधूरा रहना
और बाकी है....
आईने में ख़ुद को कौन देखता है?
किसी की आंँखों के पानी में देखना अभी बाकी है
सांँसों का उतार-चढ़ाव कौन देखता है?
अभी टूटी सांँसो का आना बाकी है
और एक मुद्दत से वो रास्तों को साफ कर रहा है
अभी तूफ़ान का आना बाकी है....
-कविता