सबको अपनी पड़ी है
बाकि लोगों की कौन सुनेगा।
सिर्फ़ कलियों की चाह रखने वालों
कांटों को दामन में कौन भरेगा ।
सबको अपनी पड़ी है
औरों की कौन सुनेगा...
आओ चलो सब साथ चलते हैं
कामना खुशी की सबकी करतें हैं
सरकारों को जो करना था
वो सबकुछ कर रहीं हैं।
सबको समान मौका दे रहीं हैं।
पर जो हैं सक्षम परिपुर्ण यहां
उनको भी तो कुछ करना है
हाशियें पर बैठे हर एक को
मुख्य धारा से जोड़ना है।
रुख हवाओं का मोड़ना है
सभी को आत्मनिर्भर बनाना है..
इस महान राष्ट्र को और महान बनाना है..
इस महान राष्ट्र को और महान बनाना है..