अहसास
शिवानी जैन एडवोकेटByss
एक नाजुक डोर है यह विश्वास,
सांसों से भी गहरा इसका अहसास।
टूटे तो फिर से जुड़ना भी मुश्किल,
रह जाती है बस एक कसक की प्यास।
इसलिए संभालो इसे जतन से हरदम,
बनो तुम सच्चे और नेक नीयत के हमदम।
यही जीवन की सच्ची पूंजी है जानो,
विश्वास ही है हर रिश्ते का संगम।