आनंद की अनुभूति
शिवानी जैन एडवोकेटByss
जहाँ हर पल उत्सव, हर क्षण सुख,
चेहरे पर न हो कभी भी दुख।
दिव्य संगीत की गूँज हो जहाँ,
स्वर्ग है आनंद का सागर महान।
हर कली वहाँ नित नई खिलती,
खुशियों की बारिश हर पल बरसती।
हँसी के झरने बहते हों जहाँ,
वेदना का स्पर्श न हो वहाँ।
मन की हर इच्छा पूरी होती,
शांति की लहरें पल पल उठतीं।
चिंता का न हो कोई किनारा,
आनंद ही आनंद का है नज़ारा।
देवों का नृत्य और गंधर्वों का गान,
प्रकृति भी करती मधुर गुणगान।
हर इंद्रिय तृप्त, हर भाव पवित्र,
स्वर्ग है आनंद का अद्भुत चरित्र।
समय की भी गति मंद हो जाए,
खुशियों का सागर गहराता जाए।
हर आत्मा प्रेम से आप्लावित,
आनंद की यह धारा अविजित।
यह कल्पना नहीं, यह सत्य शाश्वत,
जब मन हो निर्मल, हृदय हो उन्नत।
इसी जीवन में पा सकते हो स्वाद,
आनंद का जो स्वर्ग में आबाद।