( कविता ) ( अनमोल )
सारा जग हर तरफ से गोल है
ये दुनियां फिर भी अनमोल है
इधर उधर देखा तो गंजागोल है
ये दुनियां फिर भी अनमोल है
कहीं बाजा - गाजा तो कहीं ढोल है
ये दुनियां फिर भी अनमोल है
कहीं झगड़ा - लफ़ड़ा तो कहीं डाबाडोल है
ये दुनियाँ फिर भी अनमोल है
हर किसी का अपना अपना रोल है
ये दुनियाँ फिर भी अनमोल है
कोई शुन्य तो किसी का यहाँ मोल है
ये दुनियाँ फिर भी अनमोल है
ये दुनियाँ फिर भी अनमोल है......