यादों के खंजर से सारे जख्म जिगर के खुल जायेंगे
बेबस होकर दिल तड़पेगा हम भी बदतर हो जायेंगे
इंसाफ है इतना दूर यहाँ पे पेशी पर आते जाते ही
मुंसिफ बाग में टहले तो मुल्ज़िम भी जन्नत जायेंगे
बदला भी अब क्या लेना है यूँ बेनाम मुसाफिर से
हम जो ख़ुद शरमिंदा होंगे वो भी रुसवा हो जायेंगे
लगते गुल से बेहतर कांटे और बहारों से है खिजा
बुलबुल के दिलशाद तराने भी जहरीले हो जायेंगे
यार मेरा ही मुझसे हरदम खूब खफा अब रहता है
उसको पता नहीं है उस बिन हम भी तो मर जायेंगे
प्यार बना बीमारी जब से दिल के टुकड़े हुए हजार
दास आंख में रुककर आंसू भी तेजाबी बन जायेंगे

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




