अब खुशी में भी ग़म दिखता है,
सदियों दूर जश्न दिखता है।
आँखों में प्यार कम दिखता है,
दूर - दूर तक तम दिखता है।
तन्हाई में फ़क़त सपन दिखता है,
सच में भी अब भरम दिखता है।
करने को बस लेखन दिखता है,
अब सब कुछ छदम दिखता है।
आँखों से नम दिखता है,
अब सिर्फ़ सनम दिखता है।
-- रीना कुमारी प्रजापत 🖊️🖊️