तुम आज भी अच्छी समझदार हो गई।
बस थोड़ी खुदगरजी की आभार हो गई।।
मनमानी बढ़ गई गुरूर को भाई बनाया।
जैसे को तैसा बर्ताव की हकदार हो गई।।
खुद की गलतियों पर ध्यान कौन देता।
दुसरों से तुलना करने की बीमार हो गईं।।
गुनाह उसकी निगाह में गुनाह ही नही।
खुद के निर्णय लेने की कलाकार हो गई।।
फोन ब्लॉक करके सजा देती 'उपदेश'।
समाज में प्रतिष्ठा बढ़ी असरदार हो गई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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