दुश्मन के सारे मंसूबे , पल मैं करके ढेर चले
मातृभूमि के नाम जवानी , करके तीनों शेर चले
तिलक लगाने मृत्यु को , स्वयं काल के भाल चले
भारत मां का वंदन करने , ले हाथों में थाल चले
ठुकराके जंजीर गुलामी , देकर बड़ी मिशाल चले
सागर में लेने को समाधि , पर्वत बड़े विशाल चले
चूमके फंदा फांसी बाला , मस्तानी सी चाल चले
फर्ज निभाके अपना लो हम , छोड़ तुम्हारे हाल चले
खून से अपने रंग दी धरती , करके रंग गुलाल चले
चले जगाके अलख देश में , वतन वास्ते लाल चले
साक्षी लोधी