हाँ में हाँ भर (बोल वही क्या भई)
हम इतने अनजान हैं,
कि अलग-अलग दस्तावेजों में हमारी पहचान है,
घर में कूड़ेदान है,
दस्तावेजों में जान है,
फिसलती रही ज़बान है,
चौखट पर इतने मेहमान हैं,
फोटोकॉपी की एक ही दुकान है,
धरती पर मकान है,
इतने से हम महान हैं,
बोलने के लिए आन बान शान है।।
- ललित दाधीच