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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

घर आये कोई जो मिलने - समझाइश गीत - वेदव्यास मिश्र

घर आये कोई जो मिलने,
स्वागत करना ना भूलिये !!

मोबाईल को दो मिनट ही सही,
बंद करके किनारे छोड़िये !!

अजीब से हालात हैं,
आज के ज़माने में !!

मोबाईल में ही हमेशा,
नज़रें टिकाये रहते हैं हम !!

खुद के लिए ही सही,
कुछ तो संस्कार बचाइये !!

जब जाने लगे वो मेहमां,
दरवाज़े तक तो छोड़िये !!

- वेदव्यास मिश्र


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Gyan chachhu khol diye acharya ji aapne wastav m bahut sundar seekh di h aajkal ke logon k liye mobile me lage rahkar mehmannawazi nhi ki ja sakti, or mobile hi sab kuch nahi hai

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pranam sweekar karein🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी, शुभाशीष नमन अनुज श्री 💜💜 सुप्रभात आभार !! एक छोटा सा प्रयास है,अपनी कविताओं के माध्यम से समझाइश देने का !! संस्कार एक फूल की तरह हमारे जीवन की बगिया को यक़ीनन खूबसूरत बनाते हैं !! ये सीख अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए हमारे द्वारा अपनाकर आगे बढ़ाने की जरूरत है !! अभी पिछले हफ्ते ही हमारे एक पुराने मित्र आये मिलने स्कूल ऑफिस में मुझसे मिलने !! मै अपने सहज स्वभाव के अनुसार मित्रवत व्यवहार करते हुए गेट तक छोड़ने पहुँचा तो वे भावुक हो गये और प्यार से कहा..शुक्र है, मेरा मित्र आज भी मेरा मित्र है..बदला नहीं पद के चक्कर में !! तब मुझे अपार मानसिक सुख हुआ कि हम सही रास्ते पर हैं अभी भी !! आभार नमस्कार 🙏🙏

ताज मोहम्मद said

आपकी हर रचना में समाज के लिए कुछ न कुछ गहरा संदेश रहता है। बहुत ही उम्दा लिखा भाई जी।

वेदव्यास मिश्र said

ताज मोहम्मद जी, आभार सहृदय भाई साहब !! सब आप लोगों की दुआओं का ही असर है जो ऐसी रचनायें लिखा जाती हैं वर्ना हम रचनाकारों के बस की बात ही नहीं !! कभी-कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि कोई समर्पित रचनाकार की आत्मा भी हम लोगों से लिखवा लेती हैं !! आप यकीन नहीं करेंगे..कभी-कभी तो अपनी ही लिखी रचनाओं पर कमेन्ट भेजने से थोड़ी देर पहले ही पता चलता है कि अरे.रे..ये रचना तो मैंने ही लिखी है !! तब जाकर कमेन्ट को डिलीट करता हूँ !! मुझे पक्का यक़ीन है..आपने भी महसूस किया होगा कभी न कभी !!

रमेश चंद्र said

Satya vachan.. aaj kal ke bache ya youth dono ko hi ye bat smjhni chahy. Ye bat to mene bhi dekhi ha nmstey krne bhi formality ke liye aate hai apne room se. Brna bas chle to bahi se phone kr ke nmstey kr le ghar aaye mehman se.

वेदव्यास मिश्र said

रमेश चंद्र जी, यह नैतिकता की गिरावट तो है ही.. ???? फिर बचा ही क्या !! धीरे - थीरे लोग बीमार भी हो रहे हैं !! लगातार मोबाईल के पकड़े रहने से हैन्ड स्ट्रोक, आँखों से कम दिखाई देना , किसी काले अथवा लाल बिन्दु के लगातार दिखने से पढ़ने में परेशानी होना, पर्याप्त नींद न लेने की वजह से उग्र होना व चिड़चिड़ापन का होना , पोर्नसाइट्स में जाकर फेमस पोर्न स्टार को देखकर .., यहाँ तक कि बहुत से रेपया गैंग रेप का आइडिया भी मोबाईल से मिलना !! यानि सवाल बहुत ही गम्भीर है !! वैज्ञानिकों के सर्वे से ये बात आई है ,आने वाले दस सालों में मोबाईल की वजह से हर घर में एक व्यक्ति पागल होगा यानि पूरे गाँव या शहर में कितने ?? इसका अन्दाज़ा लगातार ही जा सकता है !! आभार चंद्र जी, इस पोस्ट पर उपस्थित होकर मेरा हौसला बढ़ाने के लिए !!🙏🙏

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