कभी शौक हमे भी था उनका,
पर अब वो शौक नहीं रहा।
कभी हम भी कायल थे उनके,
अब वो ज़ुनून नहीं रहा।
कभी हम भी उनके पीछे आवारा से
फिरा करते थे,
पर अब वो आवारापन नहीं रहा।
कभी हम भी रोते थे उनकी जुदाई में,
अब वो पागलपन नहीं रहा।
कभी हम भी मसरूफ़ रहते थे
उनकी यादों में,
अब वो दीवानापन नहीं रहा।
कभी हम भी तसव्वुर में बाते करते थे उनसे,
पर अब वो मंज़र नहीं रहा।
~रीना कुमारी प्रजापत