कोई हमसे रोज
एक रिश्ता जोड़ जाता है
आहिस्ता-आहिस्ता,हमारा
दिल तोड़ जाता है
एक कुआं बनाया है
राहगीरों के लिए
कोई रोज उसमें
एक पत्थर छोड़ जाता है
खुदा को, शायद
हमारी काबिलियत पर
भरोसा नहीं है
इसीलिए हमारी ओर
नजर मोड़ जाता है।
सर्वाधिकार अधीन है