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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं

जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं
उम्र का हर पड़ाव एक सीख देता है
कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है
हर पड़ाव नयी मंज़िल की ओर ले जाता है
नया रंग,नया रूप,नया व्यवहार
नयी सोच,नयी समझ,नयी ज़रूरतें
ऐसा बदलाव जो नयी राह की तैयारी होता है
सबकी ज़िन्दगी में होता है और सबको अपनाना ही पड़ता है ..

यही इस जीवन की अनकही सीख भी है
अकेले तो चलना ही पड़ेगा,आज नहीं तो कल
अपनी राह का स्वयम् को राही बनाना ही पड़ेगा
अपने मन को अपने सही गलत का गुरु बनाना होगा
मातृ भाव रख स्वयम् का ध्यान रखना होगा
हर बदलाव आगामी जीवन की नींव है ऐसा समझकर चलते जाना होगा ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Vadigi.aruna said

Very nice

वन्दना सूद replied

Thankyou 😊

Lekhram Yadav said

जी हां, वन्दना जी आपने सही कहा है, आदमी हर घड़ी हर पल हर स्थिति में कुछ न कुछ सीखता है।

वन्दना सूद replied

Life itni uljhi hui hai sir ki student bane rehne mein hi fayde hain

Bhushan Saahu said

Bahut achi sikh ha is rachna m..woqt ka kam ha badlav .ise jo apna lega bo safal ho jayega.kabhi kuch bhi stable nahi rhta. To woqt ke sath badlna sikh jao.

वन्दना सूद replied

वक़्त गुरु है और हम शिष्य 😊

रीना कुमारी प्रजापत said

सही कहा आपने उम्र का हर पड़ाव एक सिख देता है.... बहुत बढ़िया

वन्दना सूद replied

जी ma’am 😊

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut Uttam seekh pradan ki Mam aapne👌👌✍️✍️ Aaj nahi to kal apni raah akele to banani padegi...bahut khoob pranam sweekar karein 🙏🙏

वन्दना सूद replied

प्रणाम 🙏🙏😊

फ़िज़ा said

सत्य वचन👏👏

वन्दना सूद replied

😊

Updesh Kumar Shakyawar said

तन्हा हूँ मगर कैसे कहूँ बहुत कुछ के साथ में रहूँ साथ लिखान्तू का काफी 'उपदेश' ये अहम में रहूँ

वन्दना सूद replied

बहुत खूब 👌👌😊

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