कापीराइट मुक्तक
अक्सर हम गायब हो जाते हैं ये कहते हैं लोग
ऐसे में लिखनतु पर हमें कहां ढूंढ़ पाते हैं लोग
जब हम परेशान थे निगौङे नेटवर्क की वजह से
इसकी लुकाछिपी में आपको याद आते हैं रोज
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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