प्रथम जागृति प्रथम चेतना
किसने जन्मी प्रथम वेदना?
अद्भुत रहस्यमयी था वह कौन
आमंत्रित की जिसने अथाह संवेदना।
घोर तम का गहन विस्तार
उज्जलता का असीम संसार।
जिसने किया आलोक प्रसार
दीप ज्योति का चैतन्य उन्माद।
रचा शून्य से सृष्टि सागर
दिया अश्रु को अमरत्व का गागर।
अंत को आरंभ का उपहार
करुण मौन को मुस्कुराती याद।
कहूं उसे क्या मैं निर्मोही
या प्रीत की गहरी पयोधि ।
वर्षों से आँखें जिसके लिए रोई
श्वासों ने भी निरंतर बाट जोही।
_ वंदना अग्रवाल 'निराली'