बैंक कर्मचारी नाम के हैं।।
लोन ले लो बस दस परसेंट ब्याज में,
हमारी हकीकत सुनोगे तो तुम्हें अपना चेहरा तुम्हारी आंखों में नजर आएगा,
हम बैंक कर्मचारी हैं,
आलस के पुजारी हैं,
सिर्फ कॉमर्स करना है हमें,
बाद में बैंक के अधिकारी हैं,
हमारी शाखा में ब्याज से ब्याज का मिलन हो रहा है,
देख लो तुम्हारे पैसे का हो रहा है,
बड़े-बड़े महापुरुषों को जो उद्योगपति हैं,
उन्हें आम आदमी का पैसा ही तो लुटाते हैं,तुम्हारी नजरों से बचकर पैसों का झोलमाल हो जाता है,
तुम्हारे ही पैसों से हमारे बैंक का नाम ऊंचा हो जाता है,
हम समय के बड़े पक्के हैं,
ना दस बजे से पहले आते हैं,
ना पांच बजे के बाद बैंकों में नजर आते हैं,
आपका काम हमारे स्वभाव पर ही टिका है,
आपकी एक फाइल के लिए हम गोलमाल कर जाते हैं,
आपको ही आप के खिलाफ गलत ठहराते हैं,
आपने लोन लिया, धीरे-धीरे आपको हम फंसाते हैं,
हम बैंक वाले पैसों के चोर कहलाते हैं,
कोई हमसे ऊंचा बोल जाए,
उसे बैंक के चक्कर कटवाते हैं,
वह बार-बार आता है,
हमें बड़ा मजा आता है,
यकीन है कि हम बड़े निरंकुश हैं,
हमारी ही शतरंज हमारी ही चाल है,
चक्रव्यू जैसा हमारा जंजाल है,
बैंक ही पैसों का जाल है,
गरीब को गरीब हम ने बनाया है,
अमीर को अमीर हमने बनाया है,
आम आदमी का जीवन स्तर हमने गिराया है,
कृत्रिम रूप से ही बैंक का नाम कहलाया
- ललित दाधीच

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




