जो हो रहा कितना सही कितना गलत।
जिनके हाथ में उन्हीं की राह आत्मघात।।
जब नस्ल-मजहब की जमीन पर चले।
इन्साफ करने आएगी क्या आदमजात।।
चुनौती बन गया मझधार में मांझी खुद।
तब डूबने पर क्या सवार करे आत्मसात।।
मंसूबे कितना भी छुपाये रहें सत्ताधीश।
होगा वही 'उपदेश' कराओ खूब उत्पात।।
मोहब्बत का अंश थोड़ा भी जागा अगर।
बदलेगा मौसम फिर खुशी की बरसात।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद