"प्रेम क्या हैं"
प्रेम अर्पण है, समर्पण है,
अनुशासन का दर्पण है।
जीवन का संचालन है,
प्रेम आज्ञा का पालन है।
प्रेम अनुरिक्ति है
प्रेम ही विरक्ति है।
सबसे बड़ी शक्ति है।
प्रेम ईश्वर भक्ति है।
प्रेम बिन सब आधा है
कृष्ण बने राधा है।
प्रेम में संयोग है,
प्रेम में वियोग है।
प्रेम आरती है स्तुति है।
अरदास की प्रस्तुति है।
घण्टा ध्वनि गुंजान है,
प्रेम भोर की अज़ान है।
प्रेम बिना सब अधूरा,
न भक्त न भगवान पूरा।
प्रेम में आनन्द है,
प्रेम सच्चिदानंद है।
रचनाकार- पल्लवी श्रीवास्तव
ममरखा, अरेराज पूर्वी चम्पारण (बिहार)