ऐसी रहमत खुदा करे,
न हमको वो जुदा करे,
मैं पढूँ गीत व ग़ज़लें,
वो बैठ मुझे सुना करे।
इश्क़ हो, तो हो ऐसा,
चाँद और चकोर जैसा,
हों बहुतेरे विकल्प पर,
सिर्फ मुझे चुना करे।
मैं उसका इश्क़, जुनून,
वो मेरा आखिरी सुकून,
प्रीत की डोरी से सदा,
हमारे स्वप्न बुना करे।
प्रेम भावों की इक नदी,
बहती ज्यों सदियों-सदी,
मैं भी देखूँ राह आने की,
ज्यों प्रतीक्षा यमुना करे।
🖊️सुभाष कुमार यादव