दर्दे दिल पर हम कभी भी मरहम लगाते ही नहीँ हैं
वो हमें क्या खाक समझें खुद जो मय पीते नहीं हैं
ये कसम खाई थी हमने जाम हम अब छुएंगे नहीं
बोतलों से पी रहे हैं हम अब जाम से पीते नहीं हैं
यह मय कशी भी तो अपनी है इबादत की तरहा
रोज पीते हैं नियम से और नागा हम करते नहीं हैं
मेरे बच्चे मुझसे कहते हैं ना जाना तुम मैकदे फिर
इसलिए रहते इसी में घर से आते जाते ही नहीं हैं
इससे है सच्ची मुहब्बत जांन औ दिल क़ुरबान है
दास साकी मय पिलाये रिंदेकभी ठुकराते नहीं हैं II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




