(बाल कविता)
मेरा घर
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मेरा घर है पूरा कच्चा
मिट्टी की दीवारें हैं ।
दादी जी ने गेरू से कुछ
फूल बनाए प्यारे हैं ।।
मम्मी जी ने पूरा आँगन
गोबर से जो लीपा है ।
लगता जैसे चित्रकार ने
चित्र अनोखा खींचा है ।।
दादा जी ने छोटा सा तुलसी
का बिरवा रोपा है ।
दादी कहतीं इससे घर
आँगन की बढ़ती शोभा है ।।
दरवाजे पर घास-फूस का
सुंदर छप्पर छाया है ।
घर के बाहर पापा जी ने
जामुन नीम लगाया है ।।
जामुन के फल मीठे-मीठे
बच्चों के मन भाते हैं ।
और नीम की दातुनों से
दाँत रोज़ चमकाते हैं ।।
हरे पेड़ - पौधे गाँवों में
सबको सुख पहुँचाते हैं ।
बिना वृक्ष के लोग शहर में
घुटन हमेशा पाते हैं ।।
इसीलिए दरवाजे पर कुछ
पेड़ हरे लगवा लेना ।
गाँवों जैसा सुख शहरों में
कुदरत से ही पा लेना ।।
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~राम नरेश उज्ज्वल