गाँव की झाँकी
गांव में सजी संवरी अनेकों दुनियां देखी
अजीबों गरीब सा माहौल उसमें ज़िंदगी देखी
मस्त रहे अपने अंदाज़ में ऐसी खुशी देखी
धीरे से वो चली पूरे गांव की सफ़र करते देखी
भले बेबशी हो पर मुस्कुराती हर मैया देखी
हर घर में अनौखी एक चिंगारी छिपी देखी
व्यस्त और प्रगति, स्वच्छता की आंधी देखी
जहां जाएं आदर भाव की पावन गलियाँ देखी
बहता सागर जिसमें सिर्फ मिठास ही देखी
काम की दुकान, परिश्रम भरी प्यास ही देखी
तलासे सपना तो हरियाली पावन भोम देखी
बरखा रानी भी यहां महेरबान रहती देखी
तो....... धूप तो बाप रे परेशानी देती देखी
शर्दियां निराली, वो तो सब की पसंद सी देखी
गांव की रीत-भात में महक निःस्वार्थता भरी देखी
गांव में सजी संवरी अनेकों दुनियां देखी