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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मुहावरों का योग

जंगल में मोर नाचा किसने देखा
ना मैंने देखा ने तूने देखा
चोर मचाये शोर कि उसने देखा
अंधे के हाथ बटेर लगी
कुछ बांट रहे कुछ चाट रहें
चोर चोर मौसेरे भाई
ना ठौर ना ठिकाने भाई
घाट-घाट का पानी पीकर
साहब हो गये है सारे
जब अपना ही सिक्का खोटा हो
तब ही सब टोटा-टोटा हो
डंका बज गया किसी और का
अब बैठ के माथा पीट रहे
धब्बा लग गया साख पर
छलनी हो गया रे मन
गुदड़ी का है लाल वो
दिन में तारे दिखा देगा
अच्छे-अच्छो को वो
तो पानी पिला देगा
रहना है होशियार अब
आस्तीन के सांपों से
गिरगिट की तरह रंग
बदलनें वाले मेहमानों से
टुकुर-टुकुर देख रहे हैं
गर्दन पर छुरी चलाने वालो को
वैसे दूध का जला छाछ भी
फूंक-फूंक कर पीता है
दाल भी कुछ काली है
पड़ोसी की नजर जाली है
डाल रहे डोरे बार-बार
जितनी है चादर उतने पांव पसार

-अर्पिता पांडेय

###https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/arpita-pandey-muhavaron-ka-yog-2024-06-15




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह वाह क्या योग है सारे के सारे मुहावरे जोड़ घटा गुना भाग करके एक ही रचना में सुन्दर प्रयोग Mam

Arpita pandey replied

Aapko yeh prayog pasand aaya dhanyawad

Vineet Garg said

Bahut khoobsurat andaz me likha aapne to sare ke sare hi muhavre lagbhag daav par laga diye..bahut achhi rachna ban padi hai.

Arpita pandey replied

Bahut bahut aabhar

Updesh Kumar Shakyawar said

जितने बार पढो और पढने का मन करता..अद्भुत रचना...🙏🏻🙏🏻

Arpita pandey replied

बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏🌴🙏🌴🙏

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