एक खुली क़िताब
जिसके पन्ने हज़ार
नाम उसका जिंदगी है, समझो नर-नार
एक खुली क़िताब...
दर्द से तड़पते हज़ार
जैसे हो करुणा का बाज़ार
बिन ख़रीदे मिल जाता दुःखो का उपहार
एक खुली क़िताब...
अल्प होता, तो सुकूँन मिलता आसार
पर बेरहम ये दुनियाँ, तोड़े संसार
कैसे समझे, समझ नहीं लगार
एक खुली क़िताब...
संघर्ष में कट रहा सफ़र
धैर्य का भी छूट गया सफ़र
फिर भी, सफलता का है इंतज़ार
कैसे पहुंचे करा दो न कोई दीदार
एक खुली क़िताब...
सूना पड़ा मन का हर एक विचार
थम ही जाएँगी सांसो की तार
जाना तय था, फिर मोह में न छूटे सँसार
एक खुली क़िताब.....!!!!!

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




