'हैं एक सपना'
हैं एक सपना कितना सुंदर सा
है वो ख़ुद ही ख़ुद में खोया सा
है मचलता मदहोश जैसे 'नशा' सा
है सरकता जैसे नदियाँ की 'रेत' सा
हैं एक सपना कितना सुंदर सा....
मन को कहता, मुझे बनाया 'नादाँ' सा
खिला हूं मैं ख़यालों से......
यादों की सुंदर 'बहार' सा,
खुली नैनोमें भी "मैं" आता जाता
कितनी नज़ाकत भरी 'हरक़त' सा
हैं एक सपना कितना सुंदर सा.....
सच कहुं तो क्या खूब है, रात का 'आलम'
नींदमें छाया रहता हूं 'छोटा तूफानी' बच्चा सा
सफ़र सुहानी फिर शुरू होती मेरी
विचरता रहता परियों की पंख सा
हो अगर कोई हलचल....
या फिर नींद की हो शरारत.......
गायब हो जाता तुरंत 'मैं', "जादू की जप्पी" सा
हैं एक सपना कितना सुंदर सा........
ख़ुद ही ख़ुद में खोया खोया सा.........

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




