आपके ही दम पे जानम,
दिल धड़कता है सीने में !!
आपसे ही अब साँस है चलती,
है कोई जादू आपके लब में !!
आदरसूचक दो लगाता,
पूछते हो आखिर क्यूँ मैं !!
एक आपसे मिलते ही यारा,
दूजा मिलकर जाते-जाते !!
हर पल तेरा ही तसव्वुर,
छाये रहता है ज़ेहन में !!
सिर्फ धड़कता ही नहीं दिल,
और बहुत कुछ धड़के तन में !!
राहत-वाहत सब तुझसे है,
बातें-वातें भी है तुमसे !!
सिर्फ जुड़ा है तुमसे रिश्ता,
हो सब कुछ मेरी दुनिया में !!
काव्य प्रवाह वेदव्यास मिश्र की धड़कती हुई कलम से ..
सर्वाधिकार अधीन है