पैरानाॅर्मल इनवेस्टिगेशन टीम उपस्थित थी आज तीसरे दिन मास्साब के तबियत को देखते हुए !
जिन्हें मास्साब की सहमति से ही पड़ोस गाँव के एक बहुत ही पहुँच वाले व्यक्ति के माध्यम से,
अत्यन्त ही गोपनीय तरीके से काफी खर्चे पर बुलाया गया था !!
गोपनीय इसलिए भी रखा गया था ताकि मीडिया तक खबर न पहुँच जाये ।
कौन जाने ज्यादा इनटरफेयर करने और पूछताछ करने से मास्साब के साथ कोई अनहोनी न हो जाये ।
दिक्कत इसी बात की सबसे ज्यादा इसी बात की थी कि मास्साब का खानदानी लोटा गुमने के बाद उनको खुलासा ही नहीं हो रहा था।
क्योंकि मास्साब का कहना था ..
शौचक्रिया के दरमियान जो फीलिंग्स उन्हें अपना लोटा देखकर आता था और जो एक बार में ही पेट साफ हो जाता था.. लोटा गुमने के बाद अब वो फीलिंग्स कहीं मिस हो गया है ।
गाँव के कई लोग अपना-अपना पुराना लोटा लेकर आये हुए थे ।
ये वही लोग थे जो अपने-अपने बच्चों को शौच करवाते समय एक स्पेशल सीटी बजाते हैं. और उसके बाद बच्चे जरूर सफल होते हैं ।
..वो बहुत से सीटीमार महिला-पुरूष विषय विशेषज्ञ हार मानकर चुके थे अभी तक ।
सीटी बजाना तो अभी भी जारी था..कुछ महान लोगों द्वारा...
मगर क्या मज़ाल कि मास्साब एक बार भी अपनी प्रतिध्वनि से रिएक्ट करें !!
बड़े-बड़े बइगा-गुनिया, वैद्यराज , तांत्रिक-वांत्रिक भी थक चुके थे ..मगर मास्साब अपनी आकस्मिक समस्या से एक रत्ती भी टस से मस होने को तैयार नहीं थे !!
थक तो चुके थे मास्साब भी ।
मगर अपने-अपने फील्ड के जाने-माने विषय-विशेषज्ञों को धता बता रहे थे मास्साब।
हद तो तब हो गई जब दो-चार फेमस कुत्तों को भौंकने के लिए बुलाया भी गया था ताकि डरके ही सही मगर सफलता तो मिले ।
मगर वो सारे कुत्ते भूँक-भूँककर अब भौंकना ही भूल चुके थे..।
ये वही कुत्ते थे जो शाम होते ही एक विशेष डिग्री में मुँह ऊपर करके अपने भौंक से भूत-प्रेतों की उपस्थिति का सत्यापन करते थे।
ताम्र लोटा, कांस्य लोटा यहाँ तक कि स्वर्ण लोटा भी बनवाया गया था सेम टू सेम, गुमे हुए लोटे के डिजाइन का ।
जैसा-जैसा हुलिया बताते गये मास्साब..ठीक वैसा ही लोटा तैयार किया गया था वहाँ के प्रसिद्ध लोहार द्वारा..!!
क्योंकि सारे सोनार थक चुके थे और एक प्रकार से सभी सरेंडर कर चुके थे।
एक से बढ़कर एक जलील करने वाले और नई-नई गालियों की प्रजातियाँ और पुरानी से पुरानी हज़ार गालियों की बौछार करनेवाले मास्टरमाइंड लोग बाक़ायदा मास्साब की सहमति से बककर और थककर जा चुके थे !!
गाली देने का एक वैकल्पिक प्रयास भी इसीलिए ही अपनाया गया था ताकि मास्साब को खुलासा हो किसी भी तरह से..गुस्सा आये, प्रेसर बने और काम बन जाये ।
हर कोई यही दुआ माँग रहा था कि एक बार उनके दुआओं की लाज रख ले भगवान !!
एलोपैथिक दवाइयाँ कहाँ जा रही थीं पेट और नसों के अंदर..भगवान जाने।
बलमपुर से लेकर कसकपुर और कसकपुर से लेकर ठसकपुर तक यानि दस किलोमीटर तक बस मास्साब का ही चर्चा था !!
लगातार मुनादी जारी थी कि कोई भी आकर इस काम को सफल करेंगे उन्हें मास्साब द्वारा "माँगो क्या माँगते हो " ..इनाम दिया जायेगा !
बरगद पेड़ के नीचे में चार बाँस को गाड़कर उसे चारों तरफ से कपड़े से ढंक दिया गया था । अन्दर में खाट, बैठने के लायक, छेद वाली कुर्सी और पंखे का भी पुरज़ोर इन्तज़ाम किया गया था मास्साब के लिए।
यहाँ तक कि उन्हें सभी प्रकार का पुलाव,भजिया,रबड़ी खिलाया जा चुका था और अभी भी नये-नये पकवान बन रहे थे मगर लोगों को ये समझ नहीं आ रहा था कि इतना खाना -पानी सब आखिर जा कहाँ रहा है !!
नये-नये मोटिवेशनल सिंगर राइटर और सिंगर भी थक चुके थे अपनी-अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करके मगर जिस प्रतिभा-प्रदर्शन का पूरा गाँव बेसब्री से इन्तज़ार कर रहा था..बस वही नहीं हो पा रहा था !!
पूरे गाँव में मेला सा माहौल हो गया था अब तो..फुलकी वाले आ चुके थे..मूँगफली वाले आ चुके थे..हाथ झूला..छोटे-छोटे होटल वाले भी आ चुके थे..बहुत चहल-पहल वाला माहौल बन चुका था बलमपुर गाँव में ।
दूर-दूर के नाते-रिश्तेदार भी आने लगे थे अब यहाँ बलमपुर में रहने !!
कुछ लोगों के तो लड़के-लड़कियों की शादी भी तय हो चुकी थी कि अगर सब कुछ सही रहा तो बारिश के पहले एक-एक नारियल ले-देकर शादी भी कर देंगे !!
इस गाँव में दहेज लेना-देना सामाजिक अपराध माना जाता है जिसकी तारीफ कई अफसरान लोग भी कर चुके हैं !!
अभी-अभी माइक पर अनाउंस हो रहा था..मास्साब की जान हमारे हाथों में है..हम हार नहीं मानेंगे.. तब तक..जब तक हमारे साँस में साँस है और दम में दम !!
मास्साब जिन्दाबाद. मास्साब जिन्दाबाद !!
अब हम आमंत्रित करेंगे हमारी अगली टीम को..वे आकर अपनी प्रतिभा का लोहा हम सभी को मनवायें !!
जिगरपुर टीम के ज्योतिषी टीम का हार्दिक स्वागत..वेलकम !
उनमें से कुछ विद्वान महोदय राहू को दोषी बता रहे थे तो कोई केतु को !!
कोई कपड़े की जानकारी ले रहा था तो कोई दिशा का ज्ञान ।
कोई विद्धान अगले एक घंटे में खुशखबरी आने की बात कर रहा था तो कोई दो घंटे की बात चरा था !!
हर नई टीम के आने से एक आस बँधती थी जो एक-डेढ़ घंटे के बाद खतम भी हो जाती थी और फिर वही निराशा हाथ लगती थी !
मास्साब का बहुत खर्चा हो चुका था अभी तक पूरी व्यवस्था बनाने में और मास्साब हर प्रकार से सपोर्ट दे रहे थे हर किसी को ।
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शेष भाग बहुत जल्द दोस्तों !! इससे पहले का भाग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
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आप सभी अवश्य ही समझ पा रहे होंगे कि यह आलेख पूरी तरह कल्पनाशीलता के आधार पर लिखा गया है..!!
सिर्फ मनोरंजन के साथ ही साथ कुछ सकारात्मक संदेश देने के लिए !!
आशा करता हूँ, बहुत जल्द इस विशेषांक के अगले भाग के साथ पुन: हाजिर होऊँगा और आप भी कृपया हाज़िर होने की कृपा कीजियेगा !!
बहुत-बहुत स्वागत व नमस्कार !!
सर्वाधिकार अधीन है