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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ग्राम चौपाल (पार्ट 03 ) - भूत-प्रेत अंध-विश्वास विशेषांक - आलेख (शेष भाग पार्ट 02 का ) - वेदव्यास मिश्र

पैरानाॅर्मल इनवेस्टिगेशन टीम उपस्थित थी आज तीसरे दिन मास्साब के तबियत को देखते हुए !
बलमपुर गांव में मास्साब की परेशानियों के निराकरण के लिए पैरानॉर्मल इन्वेस्टीगेशन टीम द्वारा जाँच जारी है
जिन्हें मास्साब की सहमति से ही पड़ोस गाँव के एक बहुत ही पहुँच वाले व्यक्ति के माध्यम से,
अत्यन्त ही गोपनीय तरीके से काफी खर्चे पर बुलाया गया था !!

गोपनीय इसलिए भी रखा गया था ताकि मीडिया तक खबर न पहुँच जाये ।
कौन जाने ज्यादा इनटरफेयर करने और पूछताछ करने से मास्साब के साथ कोई अनहोनी न हो जाये ।


दिक्कत इसी बात की सबसे ज्यादा इसी बात की थी कि मास्साब का खानदानी लोटा गुमने के बाद उनको खुलासा ही नहीं हो रहा था।

क्योंकि मास्साब का कहना था ..
शौचक्रिया के दरमियान जो फीलिंग्स उन्हें अपना लोटा देखकर आता था और जो एक बार में ही पेट साफ हो जाता था.. लोटा गुमने के बाद अब वो फीलिंग्स कहीं मिस हो गया है ।

गाँव के कई लोग अपना-अपना पुराना लोटा लेकर आये हुए थे ।
ये वही लोग थे जो अपने-अपने बच्चों को शौच करवाते समय एक स्पेशल सीटी बजाते हैं. और उसके बाद बच्चे जरूर सफल होते हैं ।

..वो बहुत से सीटीमार महिला-पुरूष विषय विशेषज्ञ हार मानकर चुके थे अभी तक ।

सीटी बजाना तो अभी भी जारी था..कुछ महान लोगों द्वारा...
मगर क्या मज़ाल कि मास्साब एक बार भी अपनी प्रतिध्वनि से रिएक्ट करें !!

बड़े-बड़े बइगा-गुनिया, वैद्यराज , तांत्रिक-वांत्रिक भी थक चुके थे ..मगर मास्साब अपनी आकस्मिक समस्या से एक रत्ती भी टस से मस होने को तैयार नहीं थे !!

थक तो चुके थे मास्साब भी ।
मगर अपने-अपने फील्ड के जाने-माने विषय-विशेषज्ञों को धता बता रहे थे मास्साब।

हद तो तब हो गई जब दो-चार फेमस कुत्तों को भौंकने के लिए बुलाया भी गया था ताकि डरके ही सही मगर सफलता तो मिले ।

मगर वो सारे कुत्ते भूँक-भूँककर अब भौंकना ही भूल चुके थे..।

ये वही कुत्ते थे जो शाम होते ही एक विशेष डिग्री में मुँह ऊपर करके अपने भौंक से भूत-प्रेतों की उपस्थिति का सत्यापन करते थे।

ताम्र लोटा, कांस्य लोटा यहाँ तक कि स्वर्ण लोटा भी बनवाया गया था सेम टू सेम, गुमे हुए लोटे के डिजाइन का ।

जैसा-जैसा हुलिया बताते गये मास्साब..ठीक वैसा ही लोटा तैयार किया गया था वहाँ के प्रसिद्ध लोहार द्वारा..!!

क्योंकि सारे सोनार थक चुके थे और एक प्रकार से सभी सरेंडर कर चुके थे।

एक से बढ़कर एक जलील करने वाले और नई-नई गालियों की प्रजातियाँ और पुरानी से पुरानी हज़ार गालियों की बौछार करनेवाले मास्टरमाइंड लोग बाक़ायदा मास्साब की सहमति से बककर और थककर जा चुके थे !!

गाली देने का एक वैकल्पिक प्रयास भी इसीलिए ही अपनाया गया था ताकि मास्साब को खुलासा हो किसी भी तरह से..गुस्सा आये, प्रेसर बने और काम बन जाये ।

हर कोई यही दुआ माँग रहा था कि एक बार उनके दुआओं की लाज रख ले भगवान !!

एलोपैथिक दवाइयाँ कहाँ जा रही थीं पेट और नसों के अंदर..भगवान जाने।

बलमपुर से लेकर कसकपुर और कसकपुर से लेकर ठसकपुर तक यानि दस किलोमीटर तक बस मास्साब का ही चर्चा था !!

लगातार मुनादी जारी थी कि कोई भी आकर इस काम को सफल करेंगे उन्हें मास्साब द्वारा "माँगो क्या माँगते हो " ..इनाम दिया जायेगा !

बरगद पेड़ के नीचे में चार बाँस को गाड़कर उसे चारों तरफ से कपड़े से ढंक दिया गया था । अन्दर में खाट, बैठने के लायक, छेद वाली कुर्सी और पंखे का भी पुरज़ोर इन्तज़ाम किया गया था मास्साब के लिए।

यहाँ तक कि उन्हें सभी प्रकार का पुलाव,भजिया,रबड़ी खिलाया जा चुका था और अभी भी नये-नये पकवान बन रहे थे मगर लोगों को ये समझ नहीं आ रहा था कि इतना खाना -पानी सब आखिर जा कहाँ रहा है !!

नये-नये मोटिवेशनल सिंगर राइटर और सिंगर भी थक चुके थे अपनी-अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करके मगर जिस प्रतिभा-प्रदर्शन का पूरा गाँव बेसब्री से इन्तज़ार कर रहा था..बस वही नहीं हो पा रहा था !!

पूरे गाँव में मेला सा माहौल हो गया था अब तो..फुलकी वाले आ चुके थे..मूँगफली वाले आ चुके थे..हाथ झूला..छोटे-छोटे होटल वाले भी आ चुके थे..बहुत चहल-पहल वाला माहौल बन चुका था बलमपुर गाँव में ।
फुलकी लेलो, मूंगफली लेलो, आइस क्रीम लेलो, भजिया लेलो
दूर-दूर के नाते-रिश्तेदार भी आने लगे थे अब यहाँ बलमपुर में रहने !!

कुछ लोगों के तो लड़के-लड़कियों की शादी भी तय हो चुकी थी कि अगर सब कुछ सही रहा तो बारिश के पहले एक-एक नारियल ले-देकर शादी भी कर देंगे !!

इस गाँव में दहेज लेना-देना सामाजिक अपराध माना जाता है जिसकी तारीफ कई अफसरान लोग भी कर चुके हैं !!

अभी-अभी माइक पर अनाउंस हो रहा था..मास्साब की जान हमारे हाथों में है..हम हार नहीं मानेंगे.. तब तक..जब तक हमारे साँस में साँस है और दम में दम !!

मास्साब जिन्दाबाद. मास्साब जिन्दाबाद !!

अब हम आमंत्रित करेंगे हमारी अगली टीम को..वे आकर अपनी प्रतिभा का लोहा हम सभी को मनवायें !!

जिगरपुर टीम के ज्योतिषी टीम का हार्दिक स्वागत..वेलकम !
उनमें से कुछ विद्वान महोदय राहू को दोषी बता रहे थे तो कोई केतु को !!
कोई कपड़े की जानकारी ले रहा था तो कोई दिशा का ज्ञान ।
कोई विद्धान अगले एक घंटे में खुशखबरी आने की बात कर रहा था तो कोई दो घंटे की बात चरा था !!
हर नई टीम के आने से एक आस बँधती थी जो एक-डेढ़ घंटे के बाद खतम भी हो जाती थी और फिर वही निराशा हाथ लगती थी !

मास्साब का बहुत खर्चा हो चुका था अभी तक पूरी व्यवस्था बनाने में और मास्साब हर प्रकार से सपोर्ट दे रहे थे हर किसी को ।

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शेष भाग बहुत जल्द दोस्तों !! इससे पहले का भाग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
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आप सभी अवश्य ही समझ पा रहे होंगे कि यह आलेख पूरी तरह कल्पनाशीलता के आधार पर लिखा गया है..!!

सिर्फ मनोरंजन के साथ ही साथ कुछ सकारात्मक संदेश देने के लिए !!

आशा करता हूँ, बहुत जल्द इस विशेषांक के अगले भाग के साथ पुन: हाजिर होऊँगा और आप भी कृपया हाज़िर होने की कृपा कीजियेगा !!


बहुत-बहुत स्वागत व नमस्कार !!


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (13)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सुप्रभात प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏 ग्राम चौपाल का तीसरा अंक जिसका बेसब्री से इंतज़ार था पढ़ा और पाया की यह अंक काल्पनिक है क्या इसके सभी अंक काल्पनिक हैं? मास्साब जी को प्रणाम बहुत विकट समस्या आन खड़ी हुयी है उनके साथ - वास्तव में यदि कलम की बात की जाए तो आपने इस अंक को बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया हंसगुल्लों से भरपूर है लेकिन जिस प्रकार पहले के दो अंक वास्तविकता से परिपूर्ण लगते हैं इसमें वो नजर नहीं आया और न ही गोलू भैया या उनके जैसे किसी अन्य व्यक्ति का नाम अंकित हुआ हालाँकि यह निश्चित ही तीनों अंकों में से श्रेष्ठ अंक कहा जासकता है पर ग्राम चौपाल में इतनी उथल पुथल होगी नहीं सोचा था - अवश्य ही इसके हर अंक का इंतज़ार रहेगा लेकिन इसका वास्तविकता से हटकर काल्पनिकता में चले जाना थोड़ा खल रहा है। आशा करता हूँ सब कुशल मंगल होगा सादर प्रणाम नमन वंदन!! 🙏🙏

Amit Shrivastav said


Please Try The Above Solution for the instant Relief in such situations.

Amit Shrivastav said

Such a nice part....

डॉ कृतिका सिंह said

आपने थोड़ा आधार और दिशा को परिवर्तित किया यही प्रयोगवाद है, बहुत अच्छा प्रयोग वास्तविकता से काल्पनिकता के लिए यह विषय चर्चा के अंतर्गत है तो अंत में जो परिणाम आता है वह मायने रखता है आपका प्रयोग इस श्रंखला को निखार रहा है आशा है प्रयोग, वास्तविकता , काल्पनिकता , उदाहरणों सब को साथ लेकर एक लम्बी यात्रा श्रंखला के रूप में उभरेगी, जिस प्रकार से आपने इसे रेखांकित किया है उत्तम लेखन कला को प्रदर्शित करता है इस श्रंखला का पिछले भाग पढ़ा था और पाया वहाँ पाठकों का हुजूम उमड़ पड़ा है, अच्छी रचनायें एवं लेखन कहीं भी हों पाठकों को मनोरंजन के साथ साथ सामाजिक समस्याओं से अवगत कर अपने आप चमक उठती हैं - अगले भाग का इंतज़ार रहेगा समय मिल पड़ा और रचना प्रस्तुत की तो अवश्य ही आगे पढ़ना चाहूंगी कि आप इसे कहाँ लेकर जाना चाहते हैं - आपकी कलम को प्रणाम!!

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र जी, मैं आपकी बातों से पूर्णत: सहमत हूँ अनुज श्री मगर अच्छे संदेश देने के लिए मनोरंजन का सहारा बहुत ही ज़रूरी है !! हमारे गाँव में बचपन में सचमुच ये घटना घटी थी ..और इस तरह की परेशानी भी आई थी !! ये भी सच है कि तहलका मचा हुआ था उस ज़माने में !! बड़े-बड़े बइगा-गुनिया और कई प्रकार के लालबुझक्कड़ टाइप के लोग आये भी थे !! हम लोगों को खेलने और घूमने की आज़ादी मिल गई थी इसी बहाने !! पार्ट 02 तक सचमुच वास्तविक था !! चाहता तो मैं पार्ट 03 को काल्पनिक नहीं लिखता मगर ये धोखा होता आप पाठक वर्ग के साथ !! एक लेखक को भी चाहिए कि वो स्वीकार करे कि यह वाला पार्ट काल्पनिक है !! वास्तव में देखा जाये तो पार्ट 03 भी वास्तविक ही है !! मगर हास्य रस पैदा करने की वजह से यह पार्ट 60% हिस्सा में कल्पना का मिश्रण करना पड़ा जिसकी वजह से बहुमत के आधार पर मुझे ईमानदारी से स्वीकार करना पड़ा कि यह पार्ट काल्पनिक है !! मुझे पूरा उम्मीद है कि आप मेरी स्वीकारोक्ति को पूर्णत:समर्थन देंगे !! अब आगे का पार्ट बहुत हद तक वास्तविक भी होगा और मज़ेदार भी !! शुभाशीष पुन: अनुज श्री !! आभार सहृदय 🙏🙏💜💜🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

Amit Shrivastav जी, आभार हृदयप्रिय मित्र !! आभार नमस्कार 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

डॉ कृतिका सिंह जी, आपने मेरे प्रयोग को समझा,महसूस किया और सराहा भी..इस बात के लिए आपका तहे दिल से मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ !! इस पोस्ट के कमेन्ट सेक्शन में परम हृदय प्रिय मित्र अशोक कुमार पचौरी "आद्र ' जी को मैंने इस कल्पनाशीलता के लिए क्लीयरेफिकेशन दिया है मैंने अपना !! ध्यान से देखा जाये तो पार्ट 03 भी वास्तविक होने के बावजूद कल्पनाशीलता का सहारा थोड़ा सा ज्यादा होने की वजह से इस पार्ट को काल्पनिक ही लिखकर ईमानदारी का परिचय दिया है मैंने !! ये भी सच है कि ये सब हुआ था मगर मैंने थोड़ा सा अतिशयोक्तिपूर्ण स्थिति का सहारा लिया है ताकि थोड़ा हास्य भी पैदा हो और पाठक वर्ग की संभावित कल्पनाशीलता को भी महत्व दिया है मैंने !! मेरा प्रयोग बिलकुल उसी तरह है जैसे इन्जेक्शन लगाते समय थोड़ा सा ध्यान बंटाने के लिए कुछ पढ़ाई-लिखाई की चर्चा करके पेशेंट के टेन्शन को कम करता है !! इन्जेक्शन भी वास्तविक है..बीमारी भी वास्तविक है..घटना और तथ्य भी वास्तविक है मगर बीमारी को ध्यान में रखते हुए तो दवाई का इमेजिनेशन करना ही पड़ता है !! ये भी वास्तविक ही है !! आगे भी पूरे विश्वास के साथ पढ़ियेगा !! बहुत हद तक प्रयास रहेगा कि आगे का पार्ट पूर्णत: वास्तविक ही रहेगा !! नमन आभार 🙏💜💜🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

महोदय आचार्य जी प्रणाम आपको !! आपके clarification के लिए आपका आभारी हूँ लेकिन मुझे उसकी बिलकुल चाहत नहीं थी, आपने अंक में खुद से बोला है कि यह काल्पनिकता पर आधारित है, मेरा कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना था की इस अंक में वास्तविकता की कमी खली है - मेरा मानना है की यह अंक इस सीरीज का बेहतर अंक है हस्गुल्लों से भरपूर जैसा की मेने पहले भी कहा है, आपके प्रयोग ने जैसा की आप और डॉ Mam [सादर प्रणाम] प्रयोगवाद के बारे में चर्चा कर रहे हैं वास्तव में प्रयोग ने कमाल किया है वरना इतनी हंसी की बरसात न होती आपके लेखन एवं बंधुता का कायल हूँ आचार्य जी, मेने भी ईमानदारी पूर्ण रूप से बस जो कमी मुझे पर्सनली खली वह आप तक पहुंचाने का प्रयास मात्र किया था, आशा करता हूँ आपकी यह शृंखला जैसा कि डॉ Mam ने भी ज़ाहिर किया है लम्बी यात्रा श्रंखला के रूप में उभरेगी, इसके अगले अंक का इंतज़ार रहेगा सादर प्रणाम आशीर्वाद का इक्षुक एवं अज्ञानतावश यदि कहीं कोई त्रुटि हुयी हो तो उसके लिए क्षमा का इक्षुक ...

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

महोदय कमाल होगया गैस्ट्रो मेडिसिन Duphalac की निर्माता कंपनी से मेने जब X(परिवर्तित नाम) ट्विटर पर पूछा की क्या उनकी सिरप Duphalac जैसा कि अमित श्रीवास्तव जी ने सुझाया भी था मास्साब जी के लिए , तो उनका जबाब आया है अब आप खुद ही पढ़ लीजिये मेने अमित श्रीवास्तव जी द्वारा सुझाई गयी दवा के बारे में जब खोजै तो पाया इसकी निर्माता कंपनी अब्बोट [abbott] है, उसके ट्विटर हैंडल से वाकायदा मास्साब की परेशानी के लिए इस सिरप का उपयोग करना है या नहीं वाले सवाल पर जबाब आया है आप पढ़ें शुभ रात्रि!!🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

कमाल यह होगया है कि अब [Abbott] भी हाथ खड़ा कर चुकी है

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी जी, माफ कीजियेगा..मैंने आपकी ये समीक्षा पढ़ी ही नहीं थी अब तक मैंने !! साधूss😍😍 साधुवाद बन्धु !! वह प्रेम स्थिर ही नहीं जिसमें किन्तु-परन्तु की कोई गुंजाइश ही न हो !! सुझाव- शिकायतें सभी से नहीं की जाती ..जिनसे अपनापन हो..लगाव हो ..उन्हीं से ही संभव है !! मैं निश्चित ही सौभाग्यशाली हूँ जो मुझे आप जैसे शुभचिंतक मिले हैं !! निश्चित ही आपका सुझाव स्वागतयोग्य है बोन्धु 💜💜

वेदव्यास मिश्र said

Amit Shrivastav जी, मैंने गौर ही नहीं किया था भाई साहब !! यह दवाई तो मास्साब के लिए रामबाण साबित हो सकता है !! मैं उन्हें अभी अवगत कराता हूँ 😍😍

वेदव्यास मिश्र said

अशोक जी, Dufalac मेडिसिन के बारे में इतना रिसर्च..पता ही नहीं था मुझे !! मास्साब की दुआ लगे भाई साहब आपको और अमित जी को !! आपने इतना प्रयास किया ..तहे दिल से नमन !! 🙏🙏

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