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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

समीक्षा

{समीक्षा}

पेड़ लगाएं ऐसा, झिलमिल तारों जैसा
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
हिन्दी के महान साहित्य के दिविक रमेश जी ने मेरी पुस्तक "पेड़ लगाएं ऐसा, झिलमिल तारों" पर टिप्पणी की है। यह मेरे लिए गर्व की बात है। मैं उनका आभारी हूं।
आप सब के अवलोकनार्थ टिप्पणी और बाल कविता प्रस्तुत है।
*********************************************
नमस्कार श्री राम नरेश 'उज्ज्वल' जी।
आपकी कृति 'पेड़ लगाएँ ऐसा' पढ़ गया हूँ। आपकी अधिकांश कविताएँ मुझे पसंद आई है। एक बड़ी सूची है।आपकी कविताएँ अनुभव की विविधता से तो संपन्न है ही, आपकी अभिव्यक्ति भी निजी वैशिष्ट्य लिए हुए समृद्ध है। कल्पना आपके यहाँ उसी विश्वसनीय रूप में आनंददायी है जिस रूप की आज जरूरत है।
पहली ही कविता पेड़ लगाएँ ऐसा आकर्षक है। 'मैं भी एक दुल्हनिया लाऊँ' हिन्दी बाल कविता की दुनिया में मजेदार प्रवेश है। आपके यहाँ संदेश भी बहुत ही सहज और अपनेपन के भाव से आया है।
पहले चर्चा में आ चुकी कविताओं के अतिरिक्त आपकी कविताओं में सब ताने सो रहे रजाई, तितली रानी, चोटी नहीं गुहाए गुड़िया, सबसे प्रेम करे सब कोई, कैसा होगा यह संसार, पेड़ लगाएँ, एक सौन्दर्य, चलो चलें लखनऊ, एक कहानी मुझे सुनाओ, मेरी दीदी, चलो चलें प्रदेश कथाएँ, बरखा रानी, प्यारा गाँव, ला दो वही सितारा, मेरी मर्जी जैसी कविताएँ विशेष रूप से अच्छी हैं।
बधाई और शुभकामनाएँ।

दिविक रमेश

*******************************************

(बाल कविता)


पेड़ लगाएँ ऐसा, झिलमिल तारों जैसा
~राम नरेश उज्ज्वल

पेड़ लगाएँ ऐसा।

झिलमिल तारों जैसा।।

.

बिस्किट के हों पत्ते जिसमें,

टाफी के ही फल हों,

चुइंगम जैसा गोंद भी निकले,

शकरकन्द-सी जड़ हो,

डाल पकड़ कर अगर हिलाएँ,

टप-टप बरसे पैसा।

पेड़ लगाएँ ऐसा।।

.

डाल तोड़ कर दूध निकालें,

फिर पूरा पी जाएँ,

मक्खन, बर्फी, दही जमा के,

हम बच्चे मिल खाएँ,

रात अँधेरे में चमके जो

लगे सितारों जैसा।

पेड़ लगाएँ ऐसा।।
____
. संपर्क सूत्र 7071793707




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