देश किस राह चल रहा है
सब जगह हक की लड़ाई चल रही
कोई कुर्सी के लिए लड़ रहा
कोई धर्म के लिए जल रहा
कोई धन के लिए बट रहा
न शब्दों में सभ्यता रही
न विचारों में पवित्रता रही
न संस्कारों में विनम्रता रही
सम्पूर्ण राष्ट्र अशान्ति की ओर बढ़ रहा
सही ग़लत में कोई भेद नहीं रहा
लाभ हानि का कोई महत्व नहीं रहा
क्या!देश सही राह में बढ़ रहा ?
वन्दना सूद