ग्राम चौपाल - पार्ट टू (भूत-प्रेत-अंधविश्वास विशेषांक)
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आज मास्साब डरे हुए थे..माहौल भी उदासी भरा था ।
इस उदासी को भगाने के लिए उनके हमउम्र दोस्त रामपाल जी ने बात छेड़ी ग्राम चौपाल में-
आप सभी को पता हो या न हो मगर मैं आप सभी को अवगत कराना चाहूँगा कि कल रात को एक घटना घटी है मास्साब के साथ ..तभी से मास्साब डरे हुए हैं !!
दरअसल, कल रात दो बजे के आसपास लोटा लेकर बाहर निकले थे फ्रेश होने के वास्ते शमशान घाट तरफ वाले सी.सी.रोड के नदी वाले बरगद पेड़ की तरफ !!
बस बैठे ही हैं मास्साब थोड़ी देर , फ्रेश होने के बाद शौच क्रिया के लिए जैसे ही लोटे से पानी लेना चाहे..तब पता चला, पानी ही
गायब !!
हद तो तब हो गई..जब थोड़ी देर के बाद सामने ही सामने लोटा भी गायब हो गया !!
तभी से डरे हुए हैं मास्साब !!
दसवीं में पढ़ने वाले राजरत्नम ने कहा मजाकिया अन्दाज़ में..अच्छा हुआ काका जी, आप पहले निकल लिये..थोड़ी देर और रूकते तो कहीं आप भी न गायब हो जाते !!
वैसे भी काकाजी की अब उम्र हो चली है !!
कौन जाने, घर से लोटा लेकर ही न चले हों ??
पूरे चौपाल में मास्साब के अलावा बाकी सभी हँस रहे थे !!
राजरत्नम इतने में ही नहीं रूका..उसने कहा..काका जी, इसीलिए आज के ज़माने में शौचालय होना बहुत ही ज़रूरी है ।मगर काका जी हैं कि पढ़े-लिखे शिक्षक होने के बावजूद शौचालय का विरोध करते हैं !!
न खुद बनाये हैं और न ही लोगों को बनाने देते हैं !!
न खुद बनाया हूँ ,न बनाने दूँगा का तकिया कलाम सून-सुनकर हर पाँच दिन में कान पक जा रहा है और फिर इलाज का खर्चा
अलग से ।
मुझे तो लगता है, ये सब डर की वजह से हुआ है !!
इतना बोलना था कि मास्साब के मासूमियत से भरे चेहरे में एक गम्भीर भाव प्रकट हुआ और उन्होंने अंतत: बोलना शुरू किया -
देखो बेटा राजरत्नम, रिश्ते में हम तुम्हारे बाप की तरह हैं !
और दूसरी बात, डरते तो हम अपने बाप से भी नहीं थे..और रही तीसरी बात, लिहाज की..तो हम तुम्हारा भी लिहाज करते हैं !!
अब रही चौथी बात, तुम्हारे मजाक की..तो कोई बात नहीं..
चाहे हमारी बातों का कितना भी मजाक उड़ाया जाये मगर जो सच है, वो सच है..हम सही कहते भी हैं,सोचते भी हैं और करते भी हैं !!
आज हमारा गाँव मच्छर मुक्त है..क्यों ??
क्योंकि हमने शुरू से ही विरोध किया है शौचालय का !!
गंर से देखो, जहाँ-जहाँ शौचालय है,वहाँ-वहाँ ही मच्छर है !!
शौचालय का सम्बन्ध निश्चित रूप से मच्छर से है !!
इस बात का हम भी समर्थन करते हैं कि शौचालय हो और साफ-सफाई भी हो, कोई भी शौचालय टंकी टूटा-फूटा अथवा जर्जर अवस्था में न हो तो शौचालय का बिलकुल स्वागत है !!
मैं सभी से कहता हूँ कि आज के बाद मैं स्वयं भी बनाऊँगा शौचालय और आप लोगों से भी कहूँगा कि आप सभी बनवाईये अपने-अपने घरों में शौचालय..।
लेकिन दो बातों का ध्यान रखें..तो मच्छर पास भी नहीं फटकेंगे !!
पहली बात ये है कि जहाँ हो साफ-स्वच्छ शौचालय,वहाँ कभी न होंगे रूग्णालय !!
और दूसरी बात ये कि अगर किसी भी प्रकार से साफ-सफाई में कमी पाई गई या टंकी टूटा- फूटा मिला तो जुर्माना भी लगाया जायेगा !!
मच्छर नहीं हैं हमारे गाँव बलमपुर में इसलिए तो हम लोग गर्मी के दिन में पूरे गाँव के लोग एक साथ खाट बिछाकर खुली हवा में बिना मच्छरदानी के भी सो पा रहे हैं..।
ये भी तो बहुत बड़ी सफलता है !!
तीसरी बात, मल-मूत्र खुले रूप में हमारे द्वारा बैठने से खेतों में जा रहा है तो खाद भी तो बन रहा है !!
गाय के गोबर से कभी मच्छर नहीं पैदा होते..और ये भी घुरवा के माध्यम से खेतों में पहुँचकर खाद बन जा रहा है !!
हमें गौ-पालन में भी ध्यान देना होगा !!
ये लो, बातों बातों में तो मेन बात छूट ही गया !!
कल सचमुच ये घटना घटी है मेरे साथ..आप लोग मानिये चाहे मत मानिये !!
लोटा सचमुच गायब है..खानदानी लोटा था वो..पाँचवी पीढ़ी है हमारी जो उस लोटे का यूज कर रही थी !!
हर पीढ़ी का नाम गुदा है उसमें हमारी !!
पहचान चिन्ह है वो हमारे खानदान की !!
उस ज़माने के राजा साहब ने पुरस्कार में दिया था हमारी पिछली पीढ़ी को...
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शेष अगले अंक में..
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प्रिय पाठक,
नमस्कार धन्यवाद !!
आशा है,
आप लोगों को ये ग्राम चौपाल अच्छा लग रहा होगा !!
अगर आपके कोई सुझाव हैं तो बिल्कुल बताइयेगा !!
पुन: जय हो ग्राम चौपाल की !!
सर्वाधिकार अधीन है