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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ग्राम चौपाल - भूत प्रेतअंधविश्वास विशेषांक - आलेख ( पार्ट दू ) - वेदव्यास मिश्र

ग्राम चौपाल - पार्ट टू (भूत-प्रेत-अंधविश्वास विशेषांक)
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आज मास्साब डरे हुए थे..माहौल भी उदासी भरा था ।
इस उदासी को भगाने के लिए उनके हमउम्र दोस्त रामपाल जी ने बात छेड़ी ग्राम चौपाल में-

आप सभी को पता हो या न हो मगर मैं आप सभी को अवगत कराना चाहूँगा कि कल रात को एक घटना घटी है मास्साब के साथ ..तभी से मास्साब डरे हुए हैं !!

दरअसल, कल रात दो बजे के आसपास लोटा लेकर बाहर निकले थे फ्रेश होने के वास्ते शमशान घाट तरफ वाले सी.सी.रोड के नदी वाले बरगद पेड़ की तरफ !!

बस बैठे ही हैं मास्साब थोड़ी देर , फ्रेश होने के बाद शौच क्रिया के लिए जैसे ही लोटे से पानी लेना चाहे..तब पता चला, पानी ही
गायब !!
हद तो तब हो गई..जब थोड़ी देर के बाद सामने ही सामने लोटा भी गायब हो गया !!

तभी से डरे हुए हैं मास्साब !!

दसवीं में पढ़ने वाले राजरत्नम ने कहा मजाकिया अन्दाज़ में..अच्छा हुआ काका जी, आप पहले निकल लिये..थोड़ी देर और रूकते तो कहीं आप भी न गायब हो जाते !!
वैसे भी काकाजी की अब उम्र हो चली है !!
कौन जाने, घर से लोटा लेकर ही न चले हों ??

पूरे चौपाल में मास्साब के अलावा बाकी सभी हँस रहे थे !!

राजरत्नम इतने में ही नहीं रूका..उसने कहा..काका जी, इसीलिए आज के ज़माने में शौचालय होना बहुत ही ज़रूरी है ।मगर काका जी हैं कि पढ़े-लिखे शिक्षक होने के बावजूद शौचालय का विरोध करते हैं !!

न खुद बनाये हैं और न ही लोगों को बनाने देते हैं !!
न खुद बनाया हूँ ,न बनाने दूँगा का तकिया कलाम सून-सुनकर हर पाँच दिन में कान पक जा रहा है और फिर इलाज का खर्चा
अलग से ।
मुझे तो लगता है, ये सब डर की वजह से हुआ है !!

इतना बोलना था कि मास्साब के मासूमियत से भरे चेहरे में एक गम्भीर भाव प्रकट हुआ और उन्होंने अंतत: बोलना शुरू किया -

देखो बेटा राजरत्नम, रिश्ते में हम तुम्हारे बाप की तरह हैं !

और दूसरी बात, डरते तो हम अपने बाप से भी नहीं थे..और रही तीसरी बात, लिहाज की..तो हम तुम्हारा भी लिहाज करते हैं !!

अब रही चौथी बात, तुम्हारे मजाक की..तो कोई बात नहीं..
चाहे हमारी बातों का कितना भी मजाक उड़ाया जाये मगर जो सच है, वो सच है..हम सही कहते भी हैं,सोचते भी हैं और करते भी हैं !!

आज हमारा गाँव मच्छर मुक्त है..क्यों ??
क्योंकि हमने शुरू से ही विरोध किया है शौचालय का !!

गंर से देखो, जहाँ-जहाँ शौचालय है,वहाँ-वहाँ ही मच्छर है !!

शौचालय का सम्बन्ध निश्चित रूप से मच्छर से है !!

इस बात का हम भी समर्थन करते हैं कि शौचालय हो और साफ-सफाई भी हो, कोई भी शौचालय टंकी टूटा-फूटा अथवा जर्जर अवस्था में न हो तो शौचालय का बिलकुल स्वागत है !!

मैं सभी से कहता हूँ कि आज के बाद मैं स्वयं भी बनाऊँगा शौचालय और आप लोगों से भी कहूँगा कि आप सभी बनवाईये अपने-अपने घरों में शौचालय..।

लेकिन दो बातों का ध्यान रखें..तो मच्छर पास भी नहीं फटकेंगे !!

पहली बात ये है कि जहाँ हो साफ-स्वच्छ शौचालय,वहाँ कभी न होंगे रूग्णालय !!
और दूसरी बात ये कि अगर किसी भी प्रकार से साफ-सफाई में कमी पाई गई या टंकी टूटा- फूटा मिला तो जुर्माना भी लगाया जायेगा !!

मच्छर नहीं हैं हमारे गाँव बलमपुर में इसलिए तो हम लोग गर्मी के दिन में पूरे गाँव के लोग एक साथ खाट बिछाकर खुली हवा में बिना मच्छरदानी के भी सो पा रहे हैं..।

ये भी तो बहुत बड़ी सफलता है !!

तीसरी बात, मल-मूत्र खुले रूप में हमारे द्वारा बैठने से खेतों में जा रहा है तो खाद भी तो बन रहा है !!

गाय के गोबर से कभी मच्छर नहीं पैदा होते..और ये भी घुरवा के माध्यम से खेतों में पहुँचकर खाद बन जा रहा है !!


हमें गौ-पालन में भी ध्यान देना होगा !!

ये लो, बातों बातों में तो मेन बात छूट ही गया !!

कल सचमुच ये घटना घटी है मेरे साथ..आप लोग मानिये चाहे मत मानिये !!

लोटा सचमुच गायब है..खानदानी लोटा था वो..पाँचवी पीढ़ी है हमारी जो उस लोटे का यूज कर रही थी !!
हर पीढ़ी का नाम गुदा है उसमें हमारी !!

पहचान चिन्ह है वो हमारे खानदान की !!

उस ज़माने के राजा साहब ने पुरस्कार में दिया था हमारी पिछली पीढ़ी को...

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शेष अगले अंक में..
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प्रिय पाठक,
नमस्कार धन्यवाद !!

आशा है,
आप लोगों को ये ग्राम चौपाल अच्छा लग रहा होगा !!

अगर आपके कोई सुझाव हैं तो बिल्कुल बताइयेगा !!

पुन: जय हो ग्राम चौपाल की !!


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (15)

+

प्रभाकर said

लोटे ने लोटपोट कर दिया😂

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

प्रणाम आचार्य जी !! स्वागत करता हूँ ग्राम चौपाल के दूसरे भाग का, अध्भुत विश्लेषण - जानकर प्रसन्नता होती है गॉव में अभी भी मच्छर नहीं हैं और लोग आसानी से खुली हवा में सो पाते हैं, शहर में खासकर हमारे यहाँ अलीगढ के बारे में तो यही कहा जाता है कि यह दो ही चीज़ों के लिए फेमस है 'अलीगढ के ताले' और 'मच्छर!!' - मास्साब जी को सादर प्रणाम - उनके खानदानी लोटे के लिए बहुत दुःख है, वाकई बहुत बड़ा नुकसान पंहुचा है उनकी खानदानी विरासत को - इसके इतर मास्साब जी ने शौचालय बनाने और दूसरों को भी बनवाने का निर्णय जिस शर्त के साथ लिया है उसका स्वागत है - सही कह रहे हैं मास्साब जी कि शौचालयों की साफ़ सफाई अति आवश्यक है - तर्क - वितर्क और उनके परिणाम और उस पर सब की सहमति यही तो एकजुटता होती है गांव की ग्राम चौपाल में - ग्राम चौपाल का बहुत ही सुन्दर अंक!!

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

भला हो राजरत्नम की टिप्पणी का जो मास्साब जी का मन बदलने में कामयाब रहा उम्मीद है हर घर शौचालय होगा और मास्साब जी की हिदायत का अनुपालन करते हुए उसकी साफ़ सफाई भी रखी जायेगी

फ़िज़ा said

gaav ke kisse wow isko padhne kar samjhne ke liye part 1 padhna pada tab samjh me aaya bahut sundar series.

वेदव्यास मिश्र said

प्रभाकर जी, सचमुच लोटे ने लोटपोट किया है !! आगे और भी लोटपोट करेंगे मास्साब और मास्साब का लोटा 😁😁 नमस्कार आभार 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी, आपकी प्रतिक्रिया और आपकी उपस्थिति मात्र ने इस ग्राम चौपाल को मालामाल कर दिया है !! आपकी उत्तम अभिव्यक्ति ने जीवन का संचार कर दिया है !! ज़रा भी फुर्सत मिले तो आइये कभी बलमपुर के ग्राम चौपाल में और प्लीज हम दोनों भाई मास्साब के खानदानी प्रतीक चिन्ह लोटा को खोजने में पूरी मेहनत करेंगे !! मास्साब का लोटा है..ये शान है बलमपुर का ..थाती है बलमपुर की !! राजरत्नम बहुत ही अच्छा लड़का है और मुँहलगा है मास्साब का..इसलिए बुरा भी नहीं मानते मास्साब, राजरत्नम की बातों का !! वैसे पूरे गाँव के दिल हैं ..धड़कन हैं मास्साब !! लोटपोट तो अब आगे करेंगे मास्साब !! पढियेगा ज़रूर 🙏🙏 शुभाशीष नमन भाई साहब 💜💜

वेदव्यास मिश्र said

फ़िज़ा जी, आदाब आभार नमन मैम 🙏💜💜🙏 अभी और बहुत से किस्से पढ़ने को मिलेंगे इस सीरीज " ग्राम चौपाल " में !! आयेगा ज़रूर और पढियेगा ज़रूर क्योंकि आपकी प्रतिक्रियाओं, समीक्षाओं और सुझावों से ही आगे बढ़ेगा ये ग्राम चौपाल का कारवाँ !! पुन: नमन आभार मैम 🙏🙏💜💜🙏🙏

डॉ कृतिका सिंह said

बहुत खूब लिखा आपने, गांव की तो बात ही अलग है वहां का भाईचारा अब कहीं देखने को नहीं मिलता है शहरों में तो लोग अपने पड़ोसी का नाम तक नहीं जानते,

वेदव्यास मिश्र said

डॉ कृतिका सिंह मैम जी आप अनुमान भी नहीं लगा सकतीं मैम कि मुझे आपकी उपस्थिति कितनी उत्साहित कर रही है !! सबसे बड़ी बात ,आज भी हम लोग गाँव की विरासत से जुड़े हुए हैं !! लोग कुछ भी कहें,मगर हमदर्द है गाँव और बहुत से मामलों में बेदर्द !! सुविधायें अनन्त हैं शहर में मगर वास्तविक में अपनापन तो गाँवों में ही है !! भले ही उनका ज्यादा पूछताछ, इनटरफेयर जैसा लगता है मगर कभी-कभी तो लगता है हमें कि काश वो गाँव का जीवन फिर से जीने को मिल जाये !! पुन: नमन हृदयंगम आभार 🙏💜💜🙏

Vineet Garg said

गांव में बहुत सुकून होता है और शहर में बहुत मारामारी फिर भी लोग शहर में भाग कर आते हैं और फिर थक कर बैठ कर गांव को याद करते हैं 😔😔 वाह रे इंसान 🤔🤔

नूतन प्रजापति said

बहुत अच्छा सन्देश देने की कोशिश कर रहे हैं आप लेकिन लेकिन "खानदानी लोटा था वो..पाँचवी पीढ़ी है हमारी जो उस लोटे का यूज कर रही थी" कहाँ रह रहे हैं ये ज़नाब किस ज़माने में ?

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

अवश्य ही श्रीमान खानदानी Lote को ढूंढने में मदद करने में मुझे हर्ष की अनुभूति होगी

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी ' जी, बहुत-बहुत स्वागत है !! आभार नमन सुप्रभात शुभाशीष बन्धु !!

वेदव्यास मिश्र said

Vineet Garg जी, बहुत-बहुत स्वागत है भाई साहब !! नमस्कार हृदयाभिनंदन !! अब एक से बढ़कर एक कैरेक्टर तो होते ही हैं गाँवों में, उन्हीं में से एक महान कैरेक्टर हैं मास्साब !!😁😁

वेदव्यास मिश्र said

Nootan Prajapati जी, गाँवों में सभी प्रकार के कैरेक्टर होते हैं,उन्हीं में से एक बहुत ही महान कैरेक्टर हैं मास्साब !! अभी तो आगे एक से बढ़कर एक हँसी के गोलगप्पे हैं भाई साहब !! 🙏🙏💜💜🙏💖

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