उम्र बह गई चेहरा भी बदल गई
जातें जातें जख़्मो की निशानी दे गई
न वो रुकी, न हम रुके
न कोई वज़ह रह गई
थोड़े में कहाँ ज्यादा ले गई
करुणा की दुहाई दे गई
उम्र बह गई चेहरा भी बदल गई
जातें जातें जख़्मो की निशानी दे गई
कौन था वो, जो चुँगली कर गया
हम से हमारी हसरतें छीन गया
न नाम कहाँ, न काम किया
कितने सारे गुलशन उजाड़ गया
वो गुल न रहा, न खुश्बू रही
वीराना में फिर तश्वीर किसकी रह गई
उम्र बह गई चेहरा भी बदल गई
जातें जातें जख़्मो की निशानी दे गई
संसार में भयभीत क़ाफ़िला कई
जीवन गति में शामिल रिश्तें कई
कौन सा बंधन छूट है गया
कौन है.. कहाँ है..? जो रूठ गया
झूठ-मूठ नभे है वादे
जो हद से ज़्यादा हो थे गये
उम्र बह गई चेहरा भी बदल गई
जातें जातें जख़्मो की निशानी दे गई