बाजर लगते है मगर खुशियो के नही।
दुख दर्द बहुत है उनके खरीददार नही।।
एक शख्स था जिसके एहसान मुझपर।
उसकी यादों का कोई खरीददार नही।।
नीलामी चल रही थोड़ी ऊँची बोली लगा।
अभी उसके ऊपर कोई अधिकार नही।।
आजाद हो गई मैं अब भी कैद वादों मे।
तसल्ली देता खुद को मैं रसूखदार नही।।
आहिस्ता आहिस्ता जिसे नसीब समझा।
कोई ले गया 'उपदेश' अब उधार नही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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