है क्या जीवन बहता पानी है।
कभी खत्म न होने वाली कहानी है।
यहां वक्त बदल जातें किरदार बदल जाते
कहानी स्क्रिप्ट जज़्बात बदल जातें
अगले हीं पल सबकुछ बेगाना लगता है।
कभी रोता कभी हंसता कभी किसी
उधेड़बुन में कभी स्पष्ट कभी भ्रम में
है क्या जीवन कभी आराम तो कभी
श्रम में।
ये रिश्तें नाते तो वक्त काटने की मशीन हैं
वरना क्या रक्खा है इनमें
ये तो जरूरत के हिसाब से बनते बिगड़ते हैं।
ये रिश्तें हैं जरूरतों की हिसाब से
कभी ग़ैर अपनें तो कभी अपने ग़ैर ही जातें हैं।
वरना क्या है यह जिंदगी लगती यूं हीं है..
वरना क्या है यह जिंदगी लगती यूं हीं है..

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




