वक़्त रहते रंग रूप
बदल जाता है
शरीर का हर
अंग बदल जाता है
कहीं पे दर्द तो
कोई बेकार हो जाता है
मिट्टी से बनी काया का
हाल बुरा हो जाता हैं
संभाल कर जतन करें
मगन उसमें हो जाता हैं
पर ये बदन वक़्त रहते
नष्ट हो ही जाता हैं
नादान इंसान मत कर गुरुर
ये हावी हो जाता हैं
अपनी कश्ती लेकर
अपनो को ही डूबा जाता है
वक्त रहते रंग रूप
बदल जाता है
शरीर का हर
अंग बदल जाता है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




