हास्य -व्यंग्य
डिजिटल बेईमान
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात '
जय बोलो बेईमान की, अब नया ज़माना आया!
हाथ में उसके लैपटॉप है, उसने जाल बिछाया।
फ़िज़िकल रिश्वत छोड़ दी, अब ऑनलाइन चलता है,
कोड वर्ड में डील करे, सीधा अकाउंट भरता है।
जनता को 'डिजिटल इंडिया' का, पाठ वो पढ़ाएगा,
पर सारे सरकारी डेटा को, पहले हैक करवाएगा।
'पारदर्शिता' का नारा देकर, ऐप एक बनवाएगा,
जिसमें 'एंट्री' तो होंगी सब, पर 'आउटपुट' खाएगा।
ज़मीन पर नहीं अब 'क्लाउड' में, उसकी हेरा-फेरी,
'बिटकॉइन' में लेता है रिश्वत, नहीं होती ज़रा भी देरी।
'सोशल मीडिया' पर वह भाई, 'ट्रेंडिंग' है करवाता,
अपने सारे झूठे वादे, 'मीम' बना के दिखाता।
एआई से फ़ेक न्यूज़ बनवाकर, माहौल बदल देगा,
असली समस्या की ओर से, सबका ध्यान टल देगा।
पुराने ज़माने की चोरी, अब हो गई अपग्रेड,
बेईमान भी 'प्रोफेशनल' है, करता नहीं है वेट।
अब तो 'ईमान' भी 'फ़ॉरवर्ड' हो गया, जैसे कोई मैसेज,
आगे की क्या बात करें, बस है यह एक स्टेज।
जय बोलो बेईमान की, तकनीक जिसने अपनाई!
ईमानदारी को उसने, अब 'बग' में है फँसाई।