शीर्षक - चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3
( विशेषताएं, चुनौतियां,परीक्षण एवं परिणाम )
लेखिका - रीना कुमारी प्रजापत
आज मैं आपको इस लेख के माध्यम से मिशन चंद्रयान 2 और मिशन चंद्रयान 3 के बारे में जानकारी दूंगी। चंद्रयान 2 और 3 की क्या विशेषताएं रही ? इसके परीक्षण में क्या - क्या चुनौतियां सामने आई ?, परीक्षण कैसे किया गया ? और इसके क्या परिणाम निकलकर आए ? इस लेख में आज आपको इन सब से अवगत करवाया जायेगा।
{ चंद्रयान 2 }
विशेषताएं : -
1). चंद्रयान 2 की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि
चंद्रयान 2 स्वदेशी है। इसका ऑर्बिटर,
लेंडर( विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) भारत में ही
विकसित हुए हैं।
2). चंद्रयान 2 इसरो का दूसरा चंद्र मिशन है और
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहला मिशन है।
चुनौतियां :-
1). मिशन चंद्रयान 2 की सबसे बड़ी चुनौती
सॉफ्ट लैंडिंग कराने में थी क्योंकि चांद पर
वायुमंडल नहीं है जिससे सॉफ्ट लैंडिंग कराना
एक बड़ा ही चुनौतीपूर्ण काम था।
2). लैंडर की रफ्तार को कंट्रोल करना क्योंकि बिना
लैंडर की गति को कम किए व कंट्रोल किए बिना
लैंडिंग नहीं हो सकती है गति तेज होने व कंट्रोल
नहीं होने से लैंडर क्रेश हो जाता है।
3). चांद पर हर जगह गुरुत्वाकर्षण में भिन्नता होना
और चांद पर बड़े-बड़े गड्ढे होना।
परीक्षण :-
चंद्रयान मिशन 2 को 22 जुलाई 2019 को
श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत
के सबसे ताकतवर GSLV मार्क 3 रॉकेट द्वारा
लॉन्च किया गया था।
इसमें तीन मॉड्यूल थे - ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर
इसे लैंड करने की तय तारीख 6 सितंबर 2019 थी,
चंद्रयान 2 के समय इसरो के चीफ डॉ. के. सिवन
थे। 6 सितम्बर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड
करने के प्रयास में चांद की सतह से 2.1 km की
दूरी पर ही लैंडर का संपर्क टूट जाता है और अपने
मार्ग से विचलित होने के कारण क्रेश हो जाता है।
परिणाम :-
1). चंद्रयान 2 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर
पहुंचते - पहुंचते किसी खराबी के कारण
दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है इसरो की रिपोर्ट कहती
हैं कि ये दुर्घटना सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के
कारण हुई है। इस दुर्घटना से सफलता नहीं
मिल पाई लेकिन चंद्रयान 2 पूरी तरह से
असफल भी नहीं हुआ था क्योंकि उसका
ऑर्बिटर चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक
अपना काम कर रहा था।
2). चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर से मिली जानकारी से
चांद पर पानी और सोडियम का पता लगाया
है।
3). विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव में लैंडिंग।
करने में असफल रहा जिसकी वजह से पहले।
ही प्रयास में भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर
सबसे पहले उतरने वाला देश बनने में नाकाम
रहा।
{ चंद्रयान 3 }
विशेषताएं :-
1). चंद्रयान 3 इसरो द्वारा संपादित भारत का
तीसरा मिशन है जो कि चंद्रयान 2 का ही
अनुवर्ती मिशन है।
2). चांद के दक्षिण सतह पर लैंडिंग से मिली
जानकारी से चंद्रमा पर और अधिक प्रयोगों
और इंसान बसाने में मदद मिलेगी।
3). इसमें लैंडर (विक्रम), रोवर (प्रज्ञान) है।
ऑर्बिटर नहीं है, ऑर्बिटर की जगह इसमें
प्रोपल्शन मॉड्यूल है।
चुनौतियां :-
1). चंद्रयान मिशन 3 में सबसे बड़ी चुनौती लैंडिंग
के वक्त लैंडर की गति को कम करना था
जिससे की सॉफ्ट लैंडिंग हो सके और लैंडर
क्रेश ना हो।
2). चांद पर बड़े - बड़े गड्ढे होने के कारण लैंडर को
इसरो द्वारा तय उचित स्थान पर ही लैंड कराना।
3). लैंडिंग के वक्त लैंडर का सीधा होना।
परीक्षण :-
चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.25
बजे श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से
LVM 3 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया। इसकी कमान
खगोल वैज्ञानिक रितु कारीधाल को सौंपी गई थी, इस
मिशन के समय इसरो के चीफ एस सोमनाथ थे।
41 दिनों की लंबी यात्रा के बाद 23 अगस्त 2023
को शाम 06.04 बजे के लगभग चंद्रयान 3 चंद्रमा के
दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग में कामयाब हुआ।
परिणाम :-
1). भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला
पहला देश बन गया।
2). चंद्रयान 3 के रोवर पर लगे उपकरणों ने चांद की
मिट्टी का अन्वेषण किया और यहां पर 8 खनिज
तत्वों - ऑक्सीजन, सल्फर, मैंगनीज, टाइटेनिम,
एल्युमिनियम, आयरन, सिलिकॉन,क्रोमियम
आदि का पता लगाया।
3). यहां सल्फर की मौजूदगी से जलहिम की
मौजूदगी के संकेत मिलते हैं साथ ही यहां के
तापमान का भी पता लगाया गया।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




